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2. बपतिस्मा: मृत्यु, दफन और नया जीवन

2. बपतिस्मा: मृत्यु, दफन और नया जीवन

मरकुस ८:३५

लिवरपूल, इंग्लैंड, १९७५

यदि आप अपने जीवन को बचाने की कोशिश करेंगे,तो आप इसे खो देंगे

आज हम मरकुस ८:३५ को देखते हैं जिसमें हम प्रभु यीशु के उन अनोखे शब्द पाते हैं, जिनका उद्धार के साथ पूरा सरोकार है:

क्योंकि जो कोई अपना प्राण बचाना चाहे वह उसे खोएगा, पर जो कोई मेरे और सुसमाचार के लिये अपना प्राण खोएगा, वह उसे बचाएगा।

यहाँ यीशु की बात समझने के लिए, पद् के दो भागों पर गौर करें। पहले भाग में, यीशु कहते हैं, "जो कोई अपना प्राण बचाना चाहे वह उसे खोएगा।" इन शब्दों को पढ़ने में, इस बात को ध्यान में रखें कि आपको अपने जीवन को बचाने की कोई आवश्यकता नहीं है जब तक एक नश्वर खतरे की आपत्ति नहीं है। जब आप देखते हैं कि आपके जीवन को खोने की खतरा है, तो आप इसे बचाने की कोशिश करेंगे।

इस पद् में, "खोना" यूनानी शब्द ‘अपोलुमी’ से अनुवादित है जो कि मानक बी.डी.ए.जी यूनानी-अंग्रेजी शब्दकोश में "नाश, बर्बाद हो" (कुछ अन्य संबंधित परिभाषाओं के साथ) शब्दों से परिभाषित किया गया है। अगर हमारे पास यह शाब्दिक जानकारी नहीं होती, तो भी यीशु के कथन से यह पर्याप्त स्पष्ट है कि आपके जीवन को खोने का मतलब, मरण है। यदि आप अपने जीवन को बचाने की कोशिश करेंगे, तो आपके सभी प्रयास व्यर्थ होंगे क्योंकि आप इसे खो देंगे।

आप दो कार्यों के बीच फँस गए हैं। जिस तरफ आप मुड़ते हैं, आप मौत की वास्तविकता का सामना करते हैं। अगर आपने अपनी जान बचाने की कोशिश की, तो आप मर जाएँगे। यदि आप अपने जीवन को बचाने के लिए कोई प्रयास नहीं करते हैं, तो भी आप मर जाएँगे। जैसा कि अंग्रेज़ कहते हैं, आप एक फांक लकड़ी में फँस गए हैं - एक लकड़ी जो दो में विभाजित होती है - जहाँ आप जिस तरफ भी मोड़ते हैं, आप कठिनाई में फँस ही जाते हैं। मौत, कलीसिया में और दुनिया में, हर किसी के लिए एक सच्चाई है, और आप जितना भी इस बात का वाद करके दूर करने की कोशिश करते हैं तो भी यह बना रहता है।

इस कलीसिया में सभी युवक एक दिन बूढ़े हो जाएँगे, और उनके बाल सफ़ेद होने लगेंगे। आप इस प्रक्रिया को उलटने की बात छोड़िये, इसे रोक भी नहीं सकते हैं, यहाँ तक की सफ़ेद बाल को बाहर निकालने से भी कुछ नहीं होता। आप अपने बालों पर रंग लगा सकते हैं, लेकिन सफेद बाल फिर से निकलेंगे, आपको मजबूरन फिर से बालों पर रंग लगाना पड़ेगा। यहाँ के बुज़ुर्ग के पास वही अच्छे बाल होते थे जो अब युवकों के पास है, इसलिए यदि आप युवाकाल के अपनी सुन्दर रूप पर गर्व करते हैं, तो बेहतर आप आदत डाल लो यह सोचने की, कि यह लंबे समय तक नहीं रहेगा ।

समस्या केवल सफ़ेद बालों की ही नहीं है, बल्कि इस तथ्य से है कि आप दिन-प्रतिदिन क़ब्र के गड्ढे की ओर क़रीब-क़रीब बढ़ते जा रहे हैं। गड्ढे में गिरने से बचने के लिए आप क्या कर सकते हैं? बहुत सारे विटामिन लें? ज़रूर हर तरह के विटामिन और स्वास्थ्य की खुराक लीजिए। या हर दिन व्यायाम कीजिए। या अपनी झुर्रियों के लिए प्लास्टिक सर्जरी करवाइए। फिर भी एक युवरूप रखने के आपके सभी प्रयास, आपको कब्र के गड्ढे से नहीं बचा सकते हैं। आप दिन-ब-दिन इसकी और करीब आते जा रहे हैं, दिन-ब-दिन, मिनट-दर-मिनट।

यीशु, इस सच्चाई को एक हक़ीक़त के रूप में सिखाते हैं, क्योंकि कब्र की ओर चलते जाने से कोई बचना नहीं, जो मानव जाति की सामान्य नियति है।

अगला पद्, मरकुस ८:३६, आपके जीवन को खोने की बात तक करता है: "यदि मनुष्य सारे जगत को प्राप्त करे और अपने प्राण की हानि उठाए, तो उसे क्या लाभ होगा"? शब्द "हानि उठाना" का मतलब कुछ खोना है। यीशु कह रहे हैं, "अगर आपके अंतिम तक़दीर, जमीन के नीचे एक छेद में है, तो पूरी दुनिया को हासिल करने का क्या मतलब है?" आप अपने व्यापार से धनी हो सकते हैं, लेकिन क्या यह आपके जीवन आयु को एक मिनट से लम्बा बना सकता है? अक्सर इसका विपरीत होता है: जितनी अधिक तीव्रता से आप धन का पीछा करते हैं, उतनी ही तेज़ी से धन आपको छेद में धकेल देगा। कॉलेज की डिग्री प्राप्त करना, आपके गड्ढे तक के प्रयाण में मोहलत नहीं देगा। हममें से कुछ ने कई डिग्री प्राप्त करने के लिए इतनी मेहनत से अध्ययन किया है कि हमने अपनी आयु के कुछ साल शायद कम किए होंगे.

मृत्यु द्वारा जीवन प्राप्त करें, या मृत्यु द्वारा मृत्यु

आध्यात्मिक तल पर, आप अपनी आत्मा को बचाने के लिए क्या कर सकते हैं? गरीबों को पैसा देकर? नियमित रूप से कलीसिया में भाग लेकर? यीशु कहते हैं,“कुछ भी आपके जीवन को नहीं बचाएगा, आपके प्रयास भी बचा नहीं सकतीं। अंत में आपके सभी प्रयासों के बावजूद भी अपना जीवन खो देंगे। आपकी आत्मा को बचाने का केवल एक ही रास्ता है, और वह है अपनी जिंदगी को खोना।”

मेरा उपदेश इस सत्य से कभी हटा नहीं है, कि अपने जीवन को खोने के बगैर, आप अपना जीवन बचा नहीं सकते हैं। आप या तो मृत्यु द्वारा जीवन प्राप्त करेंगे, या मृत्यु द्वारा मृत्यु। चुनाव आपका है। और पहली जगह में आपको, इस तरह का चुनाव करने का विशेषाधिकार जो दिया गया है, इसका ध्यन्यवाद जाता है मसीह में परमेश्वर के क्रिया को। आप मृत्यु द्वारा मृत्यु, या मृत्यु द्वारा जीवन का चुनाव कर सकते हैं।

यीशु कहते हैं, "अगर कोई आदमी मेरी खातिर और सुसमाचार के लिए अपनी जान खो देता है, तो वह उसे बचा लेगा।" इसका मतलब यह नहीं है कि हमारा शारीरिक मरण नहीं होगा। हम सभी शारीरिक मरण से गुज़रेंगे, क्योंकि मृत्यु मानव जाति की सामान्य नियति है। बाइबल शास्त्र यह नहीं कहता कि हमारे खातिर यीशु की मृत्यु के कारण हम शारीरिक मृत्यु से बचे लिए जाएँगे । इसके विपरीत, बाइबल हमें, हमारे मरने का महत्व सिखाती है, जिसे अपनी ओर से हम करते हैं: हम मसीह के साथ मरते हैं, और उन्हीं के साथ परमेश्वर प्रति जीते हैं।

कुछ साल पहले, एक चीनी दार्शनिक और लेखक, लिन युतांग के नाम से - वे हमारे परिवार के मित्र हैं - जिन्होंने 'जीने की अहमियत’ नाम की एक किताब लिखी, जो अधिकतर चीनी दर्शन शास्त्र के बारे में था। वे उसके बाद एक ईसाई बन गए, इसलिए उन्होंने एक और किताब लिखी जिसका नाम था ‘बुतपरस्त से ईसाई तक’। अगर वे दूसरी किताब लिखते, तो इसका शीर्षक ‘मरने की अहमियत’ हो सकता था।

मुझे चिंता है कि कई ईसाई मरने का महत्व नहीं समझते हैं। पौलुस ईसाइयों से बात कर रहे हैं, जब वे कहते है, " क्योंकि तुम तो मर गए …" (कुलुसियों ३:३)। वास्तव में वे अपने पत्रों में कई बार ऐसी ही बातें कहते हैं जैसे: "यह बात सच है, कि यदि हम उसके साथ मर गए हैं तो उसके साथ जीएंगे भी" (२ तीमुथियुस २:११)। यहाँ पौलुस, मृत्यु को एक पूरित वास्तविकता के रूप में देखता है: यदि आप मसीह के साथ "मर चुके हैं", तो आप उनके साथ जीएंगे। पौलुस ने अपनी मृत्यु को भी, सूली पर चढ़ाने के रूप में दर्शाया है: "मुझे मसीह के साथ क्रूस पर चढ़ाया गया है" (गला २: २०)। वे लगातार सिखाते हैं कि हर सच्चा ईसाई मसीह के साथ मर गया है, और अब नया जीवन जीता है।

पहले मरो, फिर बपतिस्मा में मसीह के साथ दफन किए जाओ

किस अर्थ में पौलुस की मृत्यु हुई है? हम किस अर्थ में मर गए हैं? कुछ लोगों ने पौलुस के शब्दों के बल को कम करने की कोशिश की है, उन तर्कों के साथ, जो जाँच करने पर अटल नहीं हैं। कुछ लोग कहते हैं कि बपतिस्मा लेने का कार्य ही मृत्यु है, लेकिन यह शिक्षण खतरनाक है क्योंकि इससे यह अर्थ संकेत होता है की बपतिस्मा हमें बचाता है। कुछ ईसाइयों का इस आधार पर बपतिस्मा हुआ है, लेकिन बाइबल शास्त्र कभी नहीं कहता है कि हम बपतिस्मा द्वारा - या बप्तिस्मा के कार्य के कारण ही मरते हैं । परमेश्वर के शब्द का ध्यानपूर्वक अध्ययन करें, जो इतना सटीक है कि हमें इसके एक बिंदु से भी नहीं हटना चाहिए।

बपतिस्मा में, होता यह है कि आप मसीह के साथ मर जाते हैं और उनके साथ दफन किए जाते हैं। यह रोमियों ६:४ में सामने लाया गया है, जो कहता है कि " सो उस मृत्यु का बपतिस्मा पाने से हम उसके साथ गाड़े गए,.. "। कहीं और पौलुस कहते हैं:

…और उसी के साथ बपतिस्मा में गाड़े गए, और उसी में परमेश्वर की शक्ति पर विश्वास कर के, जिसने उसको मरे हुओं में से जिलाया, उसके साथ जी भी उठे। (कुलुसियों २:१२)

मृत्यु दफन से पहले आती है। यदि आप अभी तक नहीं मरे हैं, तो आपको जिंदा दफना दिया जाएगा! बाइबल शास्त्र अपने अनुक्रम में सटीक है: बपतिस्मा में मसीह के साथ दफन होने के लिए, आपको पहले मरना होगा।

मैं उन लोगों से कहता हूँ जिन्हें पहले मरे बिना बपतिस्मा दिया गया है: आपके बपतिस्मा की कोई वैधता नहीं है क्योंकि आप किसी ऐसे व्यक्ति को दफन नहीं कर सकते, जो मर नहीं गया है। यह एक सच्चा दफ़न नहीं हो सकता। यह, कब्रिस्तान की मिट्टी के साथ एक व्यक्ति को ढांक करने के समान होगा, केवल यह पाने के लिए की वह कब्र से बाहर रेंग आएगा। परमेश्वर ने उसे फिर से जीवित नहीं किया, लेकिन वह कब्र से बाहर अपना आप चढ़ आया। यदि उसकी मृत्यु नहीं हुई है, तो पुनरुत्थान का जीवन कैसे पा सकता है? जब तक वह मरा नहीं है, तब तक आप किसी को मृत से नहीं उठा सकते। रोमियों ६:५ कहता है:

क्योंकि यदि हम उस की मृत्यु की समानता में उसके साथ जुट गए हैं, तो निश्चय उसके जी उठने की समानता में भी जुट जाएंगे।

यदि आप मसीह के साथ मरे हैं, तो आप उसके साथ जी उठेंगे। लेकिन अगर आपकी मृत्यु नहीं हुई है, तो न ही आपके पास पुनरुत्थान का जीवन होगा। मुझे डर है कि कलीसिया ऐसे लोगों से भरा है जो एक दफन समारोह से गुजरे हैं, केवल यह पाने के लिए की वे कब्र से रेंगते हुए निकल आ चुके हैं। बपतिस्मा की धुलाई लेने के बाद, वे खड़े होकर घोषणा करते हैं, "यहाँ मैं एक ईसाई हूँ!"

मैं उन लोगों से कहता हूँ जो बपतिस्मा लेने पर विचार कर रहे हैं: आप जो भी करें, तब तक बपतिस्मा नहीं लें जब तक आप जान जाए कि मरने का मतलब क्या है। कलीसिया में पहले से ही बहुत सारे झूठे ईसाई हैं, और इससे अधिक की जरूरत नहीं है, विशेष रूप से उन लोगों की आवश्यकता नहीं है जो दुनिया भर, परमेश्वर और कलीसिया के नाम को बदनाम करते हैं।

कल मैंने एक पत्र पढ़ा जो लिवरपूल के एक आदमी ने अपनी बेटी को लिखा था। पिता, एक गैर-ईसाई, ने उन बातें कही जो मेरे दिल से गूंजती हैं। उन्होंने उससे कहा, "उन सतही ईसाइयों में से एक मत बनो, जिनकी बाहरी दिखावट है, लेकिन कोई आंतरिक तत्त्व नहीं है। दुनिया उनसे भरा पड़ा है!” वे कितने सही थे! वे स्वयं ईसाई बनना नहीं चाहते थे और नहीं चाहते थे कि उनकी बेटी ईसाई बने, क्योंकि कलीसिया इस तरह के ईसाई से भरा हुआ है। फिर से मैं आपसे कहता हूँ कि जो लोग बपतिस्मा के बारे में सोच रहे हैं: आप जो भी करें, तब तक बपतिस्मा नहीं लें, जब तक आप जान जाए कि मरने का क्या मतलब है।

कोई पुनरुत्थान जीवन नहीं, जब तक आप मर नहीं जाएँ

जब यीशु मृत्यु की बात करते हैं, और जब पौलुस कहते हैं "आप मर गए हैं," वे किस प्रकार की मृत्यु के बारे में बात कर रहे हैं? बच्चों के खेल में होते हुए ढोंग मौत जैसे? "बैंग! तुमने मुझे गोली मार दी, मैं मर गया!" कुछ ईसाई अपनी मृत्यु को एक ढोंग मृत्यु के रूप में देखते हैं, यह सोचते हुए कि "अपने आप को मृत मान लें" (रोमियों ६:११) का अर्थ है प्रतीकात्मक मृत्यु, वास्तविक मृत्यु नहीं।

लेकिन जब तक आप बाइबिल शास्त्र के अर्थों में, मर नहीं जाते, तब तक आप पुनरुत्थान का जीवन या परमेश्वर के अनन्त जीवन का अनुभव कभी नहीं करेंगे। बाइबल शास्त्र एक काल्पनिक या एक ढोंग मौत नहीं सिखाती है, ना ही सिखाती है कि बपतिस्मा सिर्फ एक रसम है जिसमें आप पानी में गोता लगाते हैं, बाहर आते हैं, और आप बच गए हैं!

बपतिस्मा एक आंतरिक लेनदेन का बाहिरी अभिव्यक्ति है, जो बपतिस्मा से पहले होता है। उस लेनदेन के बिना, आपके बपतिस्मा की कोई वैधता नहीं होगी। बपतिस्मा किसी प्रकार का संस्कार नहीं है जो जादुई पानी के अंदर गए और "मैं बच गया हूँ!" कहते हुए आप बाहर निकले! हम यहाँ उद्धार के मामले में परमेश्वर के साथ खिलवाड़ नहीं कर सकते, और परमेश्वर हमारे साथ खिलवाड़ करने यहाँ नहीं हैं।

मरकुस ८:३५ में प्रभु का कथन इतना महत्वपूर्ण है कि यह पहले तीन सुसमाचारों में मात्र, पाँच बार आता है। यीशु ने इस कथन को हमारे दिमाग में घुसाने के लिए दोहराया है। यह मत्ती में दो बार (१०:३९, १६:२५), लूका में दो बार (९:२४ , १७:३३) और एक बार मरकुस (८:३५ ) में, यूहन्ना १२:२५ के समानांतर के साथ पाया जाता है। मरकुस ८:३५ इतना महत्वपूर्ण है कि इसे दोहराना चाहिए:

क्योंकि जो कोई अपना प्राण बचाना चाहे वह उसे खोएगा, पर जो कोई मेरे और सुसमाचार के लिये अपना प्राण खोएगा, वह उसे बचाएगा (मरकुस ८:३५)

यीशु और पौलुस दोनों अलग-अलग रूपकों का उपयोग करते हुए सिखाते हैं, कि जब हम मसीह के साथ मरते हैं, यह मृत्यु एक वास्तविक मृत्यु होती है, न कि हमारी कल्पना की उपज। कई ईसाई सोचते हैं कि क्योंकि मसीह हमारे लिए मर गए, हमें करने के लिए और कुछ नहीं है। यदि इस मामले में यही आपकी समझ है, तो आप अभी भी अपने मरण को काल्पनिक सोच रहे हैं। लेकिन बाइबल में, मरण वास्तविक है। गलती २: २० में जो पौलुस कहते हैं, उसका मतलब न समझे ही अक्सर ईसाई उनकी बात दोहराते है: “मैं मसीह के साथ क्रूस पर चढ़ाया गया हूँ (पूर्ण काल), और अब मैं जीवित न रहा, पर मसीह मुझ में जीवित है।"

आगे, कुछ अध्यायों के बाद, पौलुस कहते हैं, "पर ऐसा न हो, कि मैं और किसी बात का घमण्‍ड करूं, केवल हमारे प्रभु यीशु मसीह के क्रूस का, जिस के द्वारा संसार मेरी दृष्टि में और मैं संसार की दृष्टि में क्रूस पर चढ़ाया गया हूँ (गला 6: 14)। पौलुस, दुनिया के लिए मर चुके हैं और दुनिया, पौलुस के लिए मर चुका है। क्या ये शब्द आपके लिए कुछ मायने रखते हैं? तब तक नहीं, जब तक आप यह नहीं समझते कि रोज़मर्रा ज़िन्दगी में मरने का क्या मतलब है।

आप पूछ सकते हैं, "क्या यह मरण मेरे व्यक्तित्व को मिटाकर, मुझे एक कठपुतली बना देगा?" यदि आप ऐसा सोचते हैं, तो इसका मतलब है, मरने का अर्थ आप समझ नहीं रहे हैं। यदि आप मसीह के साथ मर गए हैं और उनके साथ जी उठे हैं, तो आपने ऐसा सवाल नहीं पूछा होगा, क्योंकि आप नए जीवन की शक्ति में जी रहे होंगे। आपका सोच, आपकी "बुद्धि के नवीनीकरण" से बदल गया होगा (रोमियों १२:२)। नए व्यक्ति का नया मन होता है, वह है ख्रीष्ट का मन।

पौलुस कहते हैं कि हमारा "पुराना मनुष्यत्" मसीह के साथ क्रूस पर चढ़ाया गया था (रोमियों ६:६)। यूनानी भाषा में, इस शब्द का शाब्दिक अर्थ है "पुराना आदमी"। पुराना आदमी, जो पाप का गुलाम है, वह मर चुका है। इसका मतलब यह नहीं, कि हमारी पुरानी स्वभाव को मिटा दिया गया है, क्योंकि पुरानी स्वभाव मांस में अंतर्निहित है जो अभी भी मेरे शरीर में है: "मुझ में, अर्थात मेरे मांस में कोई अच्छी वस्तु वास नहीं करती" (रोमियों ७:१८)। इस युग में, जब तक हमारे पास मांस है, हमें लगातार परमेश्वर की आत्मा द्वारा शरीर के क्रियाओं को मारने की आवश्यकता है, और मांस के अनुसार नहीं जीना चाहिए (रोमियों ८:१३)।

मृत्यु केवल शहादत नहीं है

मसीह के साथ मरना, उनके साथ बपतिस्मा में दफन होना और एक नया व्यक्ति बनने के साथ, हम इस महत्वपूर्ण मामले को समाप्ति में लाते हैं। मुझे आशा है कि आप इस संदेश को दिल से लेंगे क्योंकि यह आपके उद्धार से संबंधित है। मरकुस ८:३५ में यीशु के शब्दों को आप जाने न दें क्योंकि इसकी कीमत होगी आपकी अनन्त जीवन।

जब यीशु कहते हैं कि जो लोग उनके खातिर और सुसमाचार की खातिर अपनी जान खो देते हैं, वे बचा लिए जाएँगे, वे सिर्फ़ एक शहीद की मौत की बात नहीं कर रहे हैं। आज अधिकांश देशों में, बहुत कम ईसाइयों को शहीद होने या गोलीबारी दल के सामने खड़े होने का मौका मिलेगा। यदि शहादत ही यीशु का मुख्य बिंदु है, तो बहुत कम बचाए जाएँगे। क्या हम यहाँ इंग्लैंड में, उत्तर से दक्षिण जाएँ, किसी ऐसे व्यक्ति की तलाश में, जो हमें गोली मारने को तैयार हो?

यीशु सिर्फ़ शहादत की बात नहीं कर रहे हैं। वास्तव में, एक सच्चे ईसाई बनकर जीने के तुलने में, शहीद का मौत मरना, आम तौर पर आसान होता है। एक गोली से तेज़ मौत के तुलने में ईसाई जीवन बहुत कठिन है। जो लोग अपने दैनिक जीवन में मसीह के लिए मरे हैं, वे उत्तेजित क्षण में मसीह के लिए गोली खाने वाले किसी भी व्यक्ति के तुलने में अधिक सही मायने में मर गए हैं।

हम मृत्यु को एक रोजमर्रा की वास्तविकता के रूप में अनुभव कर सकते हैं। हम शारीरिक मृत्यु के दृष्टांत का उपयोग करें। शारीरिक मृत्यु अचानक, किसी को भी हो सकता है। हो सकता है एक दिन आप सो जाओ और नहीं जागे। यदि आप आज रात मर गए, तो आपके परिवार का क्या होगा? अपनी नौकरी का क्या होगा? आपके घर और कार को कौन विरासत करेगा? आपके व्यवसाय का क्या होगा? यदि आप मर चुके हो, तो आप अब इन बातों की चिन्ता नहीं करते, क्योंकि मृत्यु, इन सभी से आपका संबंध कटवा देता है।

इस वक्त आप दुनिया में तथापि जी रहे हैं, इसलिए यदि आप मसीह के साथ मरे हैं तो आपकी कार या आपके परिवार के प्रति आपका क्या रवैया है? यदि आप मसीह के साथ मरे हैं, तो क्या आप अभी भी लोगों से प्रशंसा के लिए तरस रहे हैं? क्या सांसारिक अभिलाषाएँ आपके लिए बहुत मायने रखती हैं?

यदि आप मसीह के साथ मरे हैं, तो इस मृत्यु का प्रमाण, आपकी सोच, आपके आचरण, आपके भाषण और आपके पूरे जीवन की दिशा में दिखाई देगा। मरण में कुछ भी काल्पनिक नहीं होता है। पौलुस कहते हैं, “ मैं संसार की दृष्टि में क्रूस पर चढ़ाया गया हूँ।" (गला ६:१४)। आप ख्रीष्ट के क्रूस के माध्यम से दुनिया के लिए मर चुके हैं। दुनिया आपके लिए इतना ही मायने रखता है जितना एक मरा हुए इंसान दुनिया को मानता है। आप दुनिया में हैं, लेकिन "संसार के नहीं हैं" (यूहन्ना १७:१४), क्योंकि आप नये सिरे से जन्मे हैं।

विस्वास द्वारा ही आप दुनिया से मुँह मोड़ सकते हैं। उद्धार दिलानेवाला विस्वास सिर्फ कुछ सिद्धांतों पर विश्वास करना नहीं है, बल्कि यह विस्वास ऐसा है जो एक नए जीवन में प्रकट होता है जिसमें आप दुनिया प्रति मर जाते हैं, और परमेश्वर की शक्ति द्वारा, यीशु के पुनरुत्थान का अनुभव करते हैं।

क्या आपने परमेश्वर के पुनरुत्थान की शक्ति का अनुभव किया है? क्या आप मसीह के साथ जीवित उठाए गए हैं? या यह सिर्फ आपके लिए परिकल्पना है? भाइयों और बहनों, अगर आपने इसे एक जीवित वास्तविकता के रूप में अनुभव नहीं किया है, तो आप अभी भी अपने पापों में हैं: "यदि मसीह को नहीं उठाया गया है, तो आपका विश्वास व्यर्थ है और आप अभी भी अपने पापों में हैं" (१ कोरिंथियों १५:१७)। यदि परमेश्वर ने मसीह को जीवित नहीं उठाया है, तो हम उनके साथ नहीं उठाए जा सकते हैं, और हम अपने पापों में मर चुके हैं। क्या आप सच में मरे हैं? तभी आप जान पाएँगे कि जीने का मतलब क्या है।


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